By introduction of e-Demand Module, today, the major customers have been provided an IT Window through FOIS which allows them to do so without visiting Goods Sheds and Railway clerks do not play any role in registration of indents or prioritising of one's traffic over others. Introduction of e-Demand Registration module marked a new beginning with majority of freight customers booking their indents, anytime anywhere, through an easy to use interface in a more transparent manner. The applicable Wagon Registration Fee (WRF) is also realized through this module via secure IRCTC payment gateway. More than 43% of total indents are being captured through the system including almost 100% of Coal booking. The system provides convenience and ease of doing business by helping customers save the hassles of manual visits or interactions with concerned Railway staff. ई-डिमांड मॉड्यूल की शुरुआत करके, आज, प्रमुख ग्राहकों को फॉयस के माध्यम से एक आईटी विंडो प्रदान की गई है, जो उन्हें गुड्स शेड्स और रेलवे क्लर्कों जो इंडेंट के पंजीकरण में या दूसरों के ट्रैफ़िक परिवहन को प्राथमिकता देने में कोई भूमिका नहीं निभाते हैं, के पास गए बिना ऐसा करने की अनुमति देता है। ई-डिमांड पंजीकरण मॉड्यूल की शुरुआत ने अधिकांश माल ढुलाई ग्राहकों द्वारा एक बहुत ही पारदर्शी तरीके से आसान इंटरफ़ेस का उपयोग करते हुए, किसी भी समय कहींभी, अपने इंडेंट बुक करने से एक नई शुरुआत की है। लागू वैगन पंजीकरण शुल्क (WRF) भी इस मॉड्यूल के माध्यम से सुरक्षित आईआरसीटीसी भुगतान गेटवे के माध्यम से वसूला जाता है। इस प्रणाली से लगभग 100% कोल बुकिंग सहित कुल इंडेंट का 43% से अधिक प्राप्त किया जा रहा है। यह प्रणाली ग्राहकों को स्वयं आने या संबंधित रेलवे कर्मचारियों के साथ बातचीत के झंझटों से बचाने में मदद करके व्यापार करने में सुविधा और आसानी प्रदान करती है।
Issue of Railway Receipt (RR) is an integral part of Indian Railways Freight Business, which is a legal document to be maintained by Railways and Customers from the time of loading of goods up to delivery and/or for the purpose of claims. As a practice, 4 copies of the Railway Receipt in 132 column pre-printed stationary need to be printed and preserved for years as record by Railways and Customer needs to transmit same in physical form from source to destination to take delivery of Goods. Electronic Transmission of Railway Receipt (eT-RR) is a green initiative wherein Railway Receipts can now be digitally shared among stake holders and kept as records for Railways. It has been rolled out on PAN India basis. This initiative of process re-engineering in IR Freight business brings transparency and helps maintain the highest level of data security and audit trail in the system. रेल रसीद जारी करना भारतीय रेल के माल लदान व्यापार का अहम हिस्सा है जो एक वैधानिक दस्तावेज है जिसे माल के लदान के समय से डिलीवरी और/अथवा दावे के उद्देश्य से रेलों और ग्राहक को सुरक्षित रखना होता है। पद्धति के रूप में, 132 कॉलम वाले प्री-प्रिंट स्टेशनरी में रेल रसीद की 4 प्रतियों को प्रिंट करने और रेलवे द्वारा रिकार्ड के रूप में वर्षों तक संरक्षित करने की आवश्यकता होती है तथा ग्राहक को माल की डिलीवरी लेने के लिए इसे स्रोत स्टेशन से गंतव्य स्टेशन तक भौतिक रूप में भेजने की आवश्यकता होती है। रेल रसीदों का इलेक्ट्रोनिक ट्रांसमिशन एक हरित पहल है जिसमें रेल रसीदों को साझेदारों के साथ डिजीटल रूप से साझा किया जाता है और रेलवे द्वारा रिकार्ड के लिए इलेक्ट्रोनिक रूप में रखा जाता है। इसे अखिल भारत आधार पर शुरु किया गया है। भारतीय रेल माल लदान व्यवसाय में री-इंजीनियरिंग की यह पहल पारदर्शिता लाती है और सिस्टम में डेटा सुरक्षा और ऑडिट ट्रेल के उच्चतम स्तर को बनाए रखने में मदद करती है।
Rake Permits issued by Mining department of various State Governments were earlier required to be endorsed on the Railways Forwarding Note for placing the indent with Railways. As there was no digital record maintained at Railway Good-sheds regarding the Rake Permits issued by State Govt. the same led to various frauds, manipulation of Rake Permits and multiple loading against single Rake Permit. With integration of FOIS with Dept. of Mines of the State Government, an automated verification of Rake Permits issued by State Govts, has been possible and the manual endorsement of Forwarding Notes by Mining Departments is no longer required. This has brought in transparency in operations at large and curbed chances of frauds in the process, leading to reduction in illegal transportation of ores. पहले विभिन्न राज्य सरकारों के खनन विभाग द्वारा जारी रेक परमिट को रेलवे के पास मांगपत्र प्रस्तुत करने के लिए रेलवे अग्रेषित नोट के साथ प्रस्तुत करना आवश्यक था। चूंकि राज्य सरकार द्वारा जारी रेक परमिट के बारे में रेलवे गुड-शेड में कोई डिजिटल रिकॉर्ड नहीं रखा जाता था, इसलिए इसके कारण विभिन्न धोखाधड़ी, रेक परमिट में हेरफेर और एकल रेक परमिट पर कई लदान होते थे। राज्य सरकार के खान विभाग के साथ फॉयस के एकीकरण से राज्य सरकारों द्वारा जारी रेक परमिट का स्वचालित सत्यापन संभव हो गया है और खनन विभागों द्वारा अग्रेषित नोटों के मैन्युअल समर्थन की आवश्यकता नहीं है। इससे बड़े पैमाने पर परिचालन में पारदर्शिता आई है और इस प्रक्रिया में धोखाधड़ी की संभावनाओं पर अंकुश लगा है, जिससे अयस्कों के अवैध परिवहन में कमी आई है ।
As a policy all freight trains are expected to undergo a weighment process at originating station or en-route for correctness of weights declared by customer. This is also applicable for rakes carrying Import Containers. Any discrepancy, may result in increase of train dwell time and reduction in efficiency. Indian Railways, through FOIS, has established an Electronic Data Interchange (EDI) with Central Board of Excise and Customs (CBEC) through which, detailed information including commodity and weight of all import containers is made available to FOIS. Information of as many as 10,95,000 import containers is updated annually in FOIS by CBEC and is further validated against loading of same in Railway Wagons by container train operators. With the help of this active EDI, Railways has ensured that there is correct weight by Container Train Operators and incentivizes Customers by doing away with weighment of such trains. Thus, helping Railways curb any misuse of system by digitally collecting data and using it in its business process. एक नीति के रूप में सभी मालगाड़ियों को ग्राहक द्वारा घोषित वजन की शुद्धता के लिए स्रोत स्टेशन या मार्ग में आने वाले स्टेशन पर तोल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। यह आयात कंटेनर ले जाने वाले रेकों पर भी लागू है। किसी भी विसंगति से ट्रेन चालन के समय में वृद्धि्धि और दक्षता में कमी आती है। भारतीय रेलवे ने फॉयस के माध्यम से केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के साथ एक इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज (ईडीआई) की स्थापना की है जिसके माध्यम से सभी आयात कंटेनरों की वस्तु और वजन सहित विस्तृत जानकारी फॉयस को उपलब्ध कराई जाती है। सीबीईसी द्वारा फॉयस को सालाना 10,95,000 आयात कंटेनरों की जानकारी अपडेट की जाती है और कंटेनर ट्रेन ऑपरेटरों द्वारा रेलवे वैगन में इसे लोड करने से पहले भी इसकी पुष्टि की जाती है। इस सक्रिय ईडीआई की मदद से रेलवे ने यह सुनिश्चित किया है कि कंटेनर ट्रेन ऑपरेटरों द्वारा सही वजन किया जाए और ऐसी ट्रेनों की तुलाई नहीं करके ग्राहकों को प्रोत्साहित किया जाए। इस प्रकार, डिजीटल रूप से डेटा एकत्र करके और अपनी व्यावसायिक प्रक्रिया में इसका उपयोग करके रेलवे प्रणाली के किसी भी दुरुपयोग को रोकने में मदद कर रहा है।
The freight charge, levied on all consignments varies based on numerous factors and Railway policies implemented from time to time. Payment of exact freight amount, which runs in lakh of rupees, has always been a challenge for customers and results in un-wanted delays in operations and charges incurred for arranging the same in the nick of time. The involvement of manual interventions in commercial business may lead to corrupt practices. Indian Railways, through FOIS, has been able to implement a freight collection mechanism through a one of its kind payment process wherein a customer, through one of the nationalized banks, authorizes Railway to directly debit the freight amount from his/her account and credit same in Railway account without user requiring to authorize each transaction. As much as Rs. 94,541 Crores (76.71% of the total yearly freight) was realized in system through this arrangement in the year 2019-20. The facility is available to customers 24x7 and helps bringing transparency and convenience. सभी परेषणों पर लगाए जाने वाले प्रभार विभिन्न कारकों और समय-समय पर लागू रेल नीतियों के आधार पर होता है। सटीक माल भाड़े का भुगतान जो हमेशा लाखों रूपए में होता है, सदैव ग्राहकों के लिए चुनौती रहा है और परिणामस्वरूप परिचालन में अवांछित देरी और लगाए प्रभारों की उसी समय व्यवस्था करनी होती है। वाणिज्यिक क्षेत्र में मौखिक हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार हो सकता है। भारतीय रेल फॉयस के माध्यम से एक अनूठी भुगतान प्रक्रिया द्वारा माल भाड़ा संग्रहण तंत्र बनाने में सक्षम रहा है जिसमें एक ग्राहक अपने खाते से किसी राष्ट्रीयकृत बैंकों के द्वारा रेलवे को माल भाड़ा सीधे डेबिट करने और प्रत्येक लेन-देन के लिए प्राधिकृत किए जाने की आवश्यकता के बिना रेलवे खाते में क्रेडिट जाने के लिए प्राधिकृत करता है। वर्ष 2019-20 में इस व्यवस्था के माध्यम से 94,541 करोड़ रुपये (कुल वार्षिक भाड़ा का 76.71 प्रतिशत) को इस व्यवस्था के माध्यम से वसूला गया था। यह सुविधा ग्राहकों के लिए 24x7 उपलब्ध है और पारदर्शिता और सुविधा लाने में मदद करती है।
Allotment of Rakes towards customer indents needs to be carried out as per Railway policy guidelines in a transparent and justified manner. However, since the process had been manual for years, the same has witnessed numerous complaints from esteemed freight customers. To address the problem, Indian Railways, through FOIS, has devised an automated Rake Allotment System (RAS) for its Iron Ore Traffic. The IT System has been developed with all the rules of allotment pre-fed in the system and can be configured as per Railway policies by Administrator. The system auto generates the Allotment plan on daily basis based on IR network capacities and commitment of customers for the period. The allotment plan so generated is communicated back to customers through SMS and e-mail and also published on FOIS Website for public view. Similarly, for Coal Traffic, the rakes allotted by authorities are being captured in the Rake Allotment System (RAS-COAL) and the Coal allotment along with Arrear of Coal Allotment detail is being published on FOIS Website. The system has brought in transparency and helps curbing any malpractice in the trade. पारदर्शी और न्यायोचित तरीके से रेलवे नीति के दिशा-निर्देशों के अनुसार ग्राहक मांगपत्रों के अनुसार रेकों का आवंटन किए जाने की आवश्यकता होती है। बहरहाल, इस प्रक्रिया को सालों से मैनुअल किया गया था, इसलिए इस मामले में सम्मानित माल ग्राहकों की कई शिकायतें देखी गई हैं। समस्या का समाधान करने के लिए, भारतीय रेल ने फॉयस के माध्यम से, अपने लौह अयस्क यातायात के लिए एक स्वचालित रेक आवंटन प्रणाली (आरएएस) तैयार किया है। इस आईटी सिस्टम को सिस्टम में पूर्व-फीड आवंटन के सभी नियमों के साथ विकसित किया गया है और इसे प्रशासक द्वारा रेल नीतियों के अनुसार कॉन्फ़िगर किया जा सकता है। यह प्रणाली भारतीय रेल नेटवर्क क्षमताओं और इस अवधि के लिए ग्राहकों की प्रतिबद्धता के आधार पर दैनिक आधार पर आवंटन योजना स्वतः तैयार करती है। आवंटित की गई योजना को एसएमएस और ई-मेल के माध्यम से ग्राहकों को पुनः सूचित किया जाता है और सार्वजनिक अवलोकन के लिए फॉयस वेबसाइट पर भी प्रकाशित किया जाता है। इसी तरह, कोल ट्रैफिक के लिए, अधिकारियों द्वारा आवंटित रेक को रेक अलॉटमेंट सिस्टम (आरएएस-कोल) में प्राप्त किया जा रहा है और कोल अलॉटमेंट डिटेल के बकाया सहित कोल अलॉटमेंट को फॉयस वेबसाइट पर प्रकाशित किया जा रहा है। प्रणाली पारदर्शिता लाई है और व्यापार में किसी भी तरह के कदाचार को रोकने में मदद करती है।
Weighment of freight trains is a crucial operation for ensuring the health of Railway assets and maintain the efficiency. Indian Railways, through FOIS, has established Electronic Data Interchange (EDI) with IT Applications of various In-motion weighbridges, exchanging data related to weight of bulk commodities carried in wagons. With minimum human intervention in the process, accurate freight charging based on actual weight of goods being transported by Railways is accomplished. This system of exchange is highly secure on dedicated network and has helped Railways in curbing any malpractices involved in weighment of Rakes and charging of Goods. मालगाड़ियों की तुलाई रेलवे परिसंपत्तियों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने और कार्यकुशलता बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण परिचालन है। भारतीय रेल ने फॉयस के माध्यम से विभिन्न इन-मोशन तुला चौकियों के आईटी ऐप्लिकेशनों के साथ इलेक्ट्रॉनिक डेटा इंटरचेंज (ईडीआई) की स्थापना की है, जो माल डिब्बों में ढोई गई थोक पण्यों के वजन से संबंधित आंकड़ों का आदान-प्रदान करता है। इस प्रक्रिया में न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ रेलवे द्वारा ले जाए जा रहे माल के वास्तविक भार के आधार पर सटीक माल भाड़ा वसूली की जाती है। विनिमय की यह प्रणाली समर्पित नेटवर्क पर अत्यधिक सुरक्षित है और इसने रेलवे को रेकों की तुलाई और माल प्रभार में शामिल किसी भी कदाचार को रोकने में मदद की है।
An app for Indian Railway Freight Customers offering myriad of features including Consignment track and trace, booking information, freight calculator, terminals detail, Indents outstanding and maturity information, operating restrictions, performance dashboard and many more. The app is available for both Android and iOS customers through their respective app stores. App also provides contact detail of key nodal officers for customers concerns. भारतीय रेल के माल यातायात ग्राहकों के लिए एक ऐप जो परेषणों के ट्रैक और ट्रेस, बुकिंग जानकारी, मालभाड़ा कैलकुलेटर, टर्मिनल डिटेल, बकाया इंडेंट और परिपक्वता जानकारी, परिचालन प्रतिबंध, प्रदर्शन डैशबोर्ड और अन्य कई असंख्य सुविधाएं प्रदान करता है। ऐप एंड्रॉइड और आईओएस दोनों ग्राहकों के लिए उनके संबंधित ऐप स्टोर पर उपलब्ध है। ऐप ग्राहकों की समस्याओ के लिए प्रमुख नोडल अधिकारियों के संपर्क विवरण भी प्रदान करता है।
Simplified logistic management by extending such facilities to customer premises and allotment of Rakes for loading is now visible to the Freight Customers ग्राहक परिसर में ऐसी सुविधाएं प्रदान करके सरलीकृत लॉजिस्टिक प्रबंधन और लदान के लिए रेक का आवंटन अब माल ढुलाई ग्राहकों के प्रत्यक्ष है।
Provides continuous cargo visibility and instant access to information regarding status of consignment in transit to freight customers. Global tracking of consignments in trains and wagons. माल भाड़ा ग्राहकों को पारगमन किए गए परेषणों के संबंध में निरंतर रूप से माल की स्थिति और सूचना तुरंत उपलब्ध कराता है। गाड़ियों और माल डिब्बों के परेषणों की वैश्विक ट्रैकिंग।
Integrated Freight Business Management tool to optimize utilization of costly assets and resources by improving distribution of rakes /wagons and locos and scheduling and routing traffic in a cost effective manner. रेक/माल डिब्बों और इंजनों के वितरण में सुधार करके और लागत प्रभावी तरीके से यातायात को निर्धारित करके महंगी संपत्ति और संसाधनों के उपयोग को इष्टतम करने के लिए एकीकृत माल यातायात व्यापार प्रबंधन टूल।
Monitoring of Key Performance Indices to analyse Indian Railways freight business across different aspects. Operating and Commercial Performance monitoring for Freight Managers and overall business and operational efficiency indicators for freight customers through different application offerings, bringing transparency and ease of doing business. वभारतीय रेल के माल लदान व्यापार के विभिन्न पहलूओं का विश्लेषण करने के लिए प्रमुख प्रदर्शन सूचकांकों की निगरानी उपलब्ध कराना । माल यातायात प्रबंधकों के लिए परिचालन और वाणिज्यिक प्रदर्शन की निगरानी और विभिन्न ऐप्लिकेशन प्रस्तुतियों के माध्यम से माल ग्राहकों के लिए समग्र व्यवसाय और परिचालन दक्षता संसूचक, व्यापार में पारदर्शिता और सरलता लाते हैं।
Facilitates acceptance, billing, cash accountal of freight traffic from identified nodal customer centers which may not be handling terminals. Accurate and uniform operating information regarding loco, wagon, yard, terminal etc. चिह्नित नोडल ग्राहक केंद्रों से माल ढुलाई की स्वीकृति, बिलिंग, नकद लेखा की सुविधा प्रदान करता है जो संभवतः टर्मिनल पर उपलब्ध नहीं हो। इंजन, माल डिब्बों, यार्ड, टर्मिनल आदि के बारे में सटीक और एक समान परिचालन संबंधी जानकारी प्रदान करता है
Commercial and operating Information is shared to core Ministries of Govt of India and major freight customers to fuel their ERP systems. The partners are: Ministry of Shipping, Ministry of Power, NTPC, SAIL, ACC and many more. Bringing better coordination among all stakeholders including RAIL, COAL and POWER ministries. वाणिज्यिक और परिचालन सूचना भारत सरकार के मुख्य मंत्रालयों और प्रमुख माल ढुलाई ग्राहकों के साथ साझा की जाती है ताकि वे अपने ईआरपी सिस्टम को आगे बढ़ा सकें। जहाजरानी मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय, एनटीपीसी, सेल, एसीसी एवं कई अन्य इसके भागीदार हैं। रेल, कोयला और बिजली मंत्रालयों सहित सभी हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय लाना।